देहरादून, सरकारी स्कूलों के बच्चों को अब सीबीएसई, आईसीएससी बोर्ड के फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले शिक्षक पढ़ाते हुए नजर आएंगे। इतना ही नहीं स्कूलों के बच्चों को बेहतरीन प्लेग्राउंड भी आसानी से उपलब्ध हो जाएगा। राज्य में यह सब शिक्षा विभाग की उस पहल के तहत हो रहा है जिसमें उत्तराखंड सरकार स्कूलों में शेयरिंग व्यवस्था को शुरू करने जा रही हैं।
उत्तराखंड सरकार शिक्षा के क्षेत्र में एक नया प्रयोग करने जा रही है। इसके तहत विद्यालयों में शेयरिंग व्यवस्था को लागू किया जाएगा। यह व्यवस्था विभिन्न बोर्डों के बीच होने वाले एमओयू के बाद राज्य में लागू की जा सकेगी। बता दे कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शैक्षणिक व्यवस्थाओं को लेकर कई बिंदुओं पर राज्यों को कार्य करने के लिए कहा गया है। इसी में से एक शिक्षा विभाग में शेयरिंग व्यवस्था को लागू करना भी है। हालांकि इस पर अभी काम शुरू नहीं हो पाया है, लेकिन, माना जा रहा है कि एमओयू साइन होने के बाद राज्य में यह नई व्यवस्था लागू की जा सकेगी।
प्रदेश में यह व्यवस्था खास तौर पर सरकारी विद्यालयों के लिए संजीवनी साबित होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि जो छात्र निजी विद्यालयों जैसी शैक्षणिक व्यवस्था को नहीं प्राप्त कर पाते उन्हें भी अब प्राइवेट विद्यालयों के फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले शिक्षक पढ़ाएंगे। साथ ही उन बच्चों को बेहतर खेल के मैदान भी उपलब्ध हो सकेंगे। शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत का कहना हैं कि जल्द ही इस मामले में अधिकारियों को अग्रिम कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। इसके तहत जल्द ही विभिन्न बोर्ड आपस में अनुबंध साइन करेंगे।
नई व्यवस्था के तहत निजी विद्यालयों के अच्छे शिक्षकों को दूसरे विद्यालय में पढ़ाने के लिए भेजा जा सकेगा। इसी तरह उत्तराखंड बोर्ड के अच्छे शिक्षक भी निजी विद्यालयों में जाकर अपने अनुभव का लाभ वहां के बच्चों को देंगे। कुल मिलाकर यह नई व्यवस्था शिक्षकों की शेयरिंग के लिए एक नई शुरुआत होगी। शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले शिक्षक दूसरे बोर्ड में जाकर छात्रों को पढ़ा सकेंगे। उधर दूसरी तरफ इसी व्यवस्था में इंफ्रास्ट्रक्चर की शेयरिंग भी की जा सकेगी। बेहतर ग्राउंड का लाभ ऐसे छात्र भी ले सकेंगे जिनके विद्यालयों में खेलने के लिए ग्राउंड मौजूद नहीं है।
उत्तराखंड़ की गंभीर जलवायु समस्याओं का समाधान के लिए राउंड टेबल डायलाग का आयोजनविशेषज्ञों और हितधारकों ने उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सामूहिक कार्यवाही पर दिया जोर – Uttarakhand Himalaya
देहरादून, जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए सामूहिक मोर्चा तैयार करना ज़मीन से मिले सबक, शीर्षक को लेकर दून लाइब्रेरी और रिसर्च सेंटर में एक राउंड टेबल डायलाग को आयोजित किया गया । इस चर्चा का आयोजन एसडीसी फाउंडेशन द्वारा दून लाइब्रेरी के साथ मिलकर किया गया था, जिसमें सिविल सोसाइटी संगठनों, नीति विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और युवा पेशेवरों सहित विविध हितधारकों ने भाग लिया। इस संवाद में सामूहिक कार्यवाही के महत्व पर जोर दिया गया, जो जमीनी स्तर के अनुभवों से प्रेरित हो। यह चर्चा एसडीसी फाउंडेशन द्वारा क्यूरेट की गई “उत्तराखंड आइडिया एक्सचेंज ऑन क्लाइमेट एंड कॉन्स्टिट्यूशन” पहल का हिस्सा थी।
सत्र की शुरुआत दून लाइब्रेरी और रिसर्च सेंटर के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्र शेखर तिवारी के स्वागत संबोधन से हुई। इसके बाद एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने परिचय दिया जिसमें उन्होंने पहले आयोजित युवा कार्यशाला और पैनल चर्चा को लेकर जानकारी साझा की । उन्होंने उत्तराखंड की गंभीर जलवायु समस्याओं का समाधान करने के लिए जन समुदाय आधारित संवादों पर जोर दिया।
एसडीसी फाउंडेशन के फेलो और यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज स्कूल ऑफ लॉ के सहायक प्रोफेसर गौतम कुमार ने चर्चा की पृष्ठभूमि रखी। उन्होंने नीति निर्माण में जमीनी अनुभवों को शामिल करने और क्षेत्र में सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय ज्ञान को जलवायु नीति में एकीकृत करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
सीडर के विशाल सिंह ने बातचीत की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने पर्यावरणीय गिरावट को केवल जलवायु परिवर्तन से जोड़ने की प्रवृत्ति को लेकर चिंता जताई। उन्होंने पर्यावरणीय नियमों के सख्त अनुपालन और सिविल सोसाइटी, शिक्षाविदों और राज्य के बीच सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। बैफ के दीपक महंता ने बातचीत को सतत कृषि की ओर मोड़ते हुए जलवायु-लचीली कृषि तकनीकों जैसे विविध फसल और साइल रिजनरेशन की वकालत की।
रीसाइकल के रोहित जोशी ने केदारनाथ में प्लास्टिक कचरे के लिए जमा वापसी प्रणाली के माध्यम से 90% प्लास्टिक कचरे की वसूली का नवाचारी कचरा प्रबंधन समाधान साझा किया। उन्होंने कचरा प्रबंधन के प्रति जनता में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। आइडियल फाउंडेशन के आयुष जोशी ने घरेलू स्तर पर कचरे का सेग्रेगेशन और एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिस्पॉन्सबिलिटी के ढांचे के माध्यम से कॉर्पोरेट उत्पादकों के साथ जुड़ने की आवश्यकता पर चर्चा की।
नागरिक के तरुण शर्मा ने छोटे शहरों में काम करने के अपने गहरे अनुभव साझा किए और स्थानीय स्तर पर ज्ञान के अभाव, नागरिक भागीदारी की कमी और सरकारी संस्थानों में मौजूदा क्षमताओं के निम्न स्तर पर जोर दिया। काउंसिल ऑन एनर्जी, इनवायरमेंट एंड वाटर के पंकज करगेती ने सौर ऊर्जा के प्रति जागरूकता और इसे अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने सरकारी अधिकारियों और स्थानीय समुदायों को शिक्षित करने के महत्व को रेखांकित किया l
बुरांश के जीत बहादुर ने उत्तरकाशी में जलवायु परिवर्तन के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभावों पर ध्यान केंद्रित किया, जहां बदलते मौसम पैटर्न ने कृषि को अस्थिर कर दिया है। उन्होंने सामुदायिक भागीदारी की आवश्यकता और नीति परिवर्तन के लिए जन दबाव के महत्व पर जोर दिया। इंजनियस फाउंडेशन के अनिल जोशी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के संदर्भ में व्यापारिक दृष्टिकोण को जलवायु और समुदाय आधारित दृष्टिकोण से समझना महत्वपूर्ण है।
यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज की प्रोफेसर वैशाली ने बौद्धिक संपदा अधिकार के संदर्भ में पारंपरिक ज्ञान की रक्षा के लिए कानूनों की वकालत की। उन्होंने स्वदेशी समुदायों के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग की क्षमता पर प्रकाश डाला।
सत्र का समापन एक खुले संवाद के साथ हुआ जिसमें प्रतिभागियों ने राज्य और स्थानीय समुदायों के साथ जुड़ाव के अगले कदमों पर चर्चा की। सभी प्रतिभागियों ने उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए निरंतर संवाद और सामूहिक कार्रवाई के महत्व पर सहमति व्यक्त की।
अनूप नौटियाल ने कार्यक्रम का समापन उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सामूहिक कार्यवाही के महत्व को फिर से दोहराते हुए किया। युवा पेशेवर जैसे अरुणिमा नैथानी, अदिति डिमरी, किरण रावत, सुमित सिंह और वसीश कुमार के साथ दून लाइब्रेरी के सुन्दर सिंह बिष्ट उपस्थित रहे।
हमारे पूर्वज मोटे अनाजों को प्रयोग करके निरोग रहते थे : डा. धनसिंह रावत
“गढ़ भोज से निरोगी काया’ को लेकर मनाया गढ़ भोज दिवस”
देहरादून, उत्तराखंड़ के साथ देश विदेश में रहने वाले प्रवासियों के द्वारा गढ़ भोज दिवस बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।इस वर्ष गढ़ भोज दिवस का विषय ‘गढ़ भोज से निरोगी काया’ रखा गया था जिस पर स्कूल, कालेजों, महाविद्यालयों में निबंध प्रतियोगिता, वाद विवाद प्रतियोगिता, रैली, भाषण प्रतियोगिता आयोजित हुई। हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी द्वारा राजकीय बालिका इंटर कॉलेज राजपुर रोड में आयोजित किया गया।
जिसमें मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री डा. धन सिंह रावत जी दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अपने संबोधन में डा. धन सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड के परंपरागत मोटे अनाजों एवं उनसे बनने वाले भोजन को मुख्यधारा से जोड़ने को लेकर वर्ष 2000 से उत्तराखंड के कोने कोने में इनके बीजों को संरक्षित करने और इसके प्रचलन को बढाने की कोशिश जाड़ी संस्था के द्वारा किया जा रहा। जो की एक सराहनीय प्रयास है।
उन्होंने कहा की हमारे पूर्वज मोटे अनाजों को प्रयोग करके निरोग रहते थे लेकिन समय के साथ साथ मोटे अनाज हमारे भोजन से गायब होते जा रहे है. फिर से मोटे अनाज और इससे बनने वाले उत्पादों को लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता महसूस हो रही है. जिसके लिए गढ़ भोज अभियान महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है।
गढ़भोज को मिड डे मिल में शामिल करने के लिए मंत्री जी का शाल वा अंगवस्त्र प्रदान कर आभार व्यक्त किया। बच्चों ने गढ़ भोज के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए, बच्चों के द्वारा एवं गायत्री रावत के द्वारा गढ़ भोज के विभिन्न पकवानों, फसलों की प्रदर्शनी लगाई गई।
गढ़ भोज अभियान के प्रणेता द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने कहा की बच्चे पढ़ते समय से इनके गुणों को जाने, साथ ही देश के अन्य लोग भी हमारी भोजन संस्कृति को जाने इस उद्देश्य से गढ़ भोज दिवस का विचार समाज और सरकार के सामने लाया गया जो धीरे धीरे सफल भी हो रहा है।
इस अवसर पर बच्चों को विषय विशेषज्ञों प्रो. मोहन पंवार ने कहा की जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में गढ़ भोज की काफी महत्वपूर्ण भूमिका है।
सुरेश सतपती ने गढ़ भोज अभियान ने उत्तराखंड के भोजन को राष्टीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई, ये फसलें और भोजन मनुष्य के शरीर के साथ मिट्टी के लिए भी लाभकारी है।
दिनेश सेमवाल ने कहा की उत्तराखंड की भोजन संस्कृति ही दुनिया को स्वस्थ रख सकती है।
गढ़ भोज दिवस का आयोजन वर्ष 2022 से किया जा रहा है। जो कि मुख्य रूप से स्कूल, कालेज, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय मेडिकल कॉलेज, अस्पतालों एवं भोजन से जुड़े लोगो के द्वारा मनाया जाता है।
इस वर्ष गढ़ भोज दिवस मनाने का आह्वान मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के साथ पर्यावरणविद पद्म भूषण डा अनिल प्रकाश जोशी, गायक पद्मश्री प्रीतम भर्तवाण , गायक श्री ओम बधानी, गायक श्री इंदर आर्य, सामाजिक कार्यकर्ता श्री सुरेश सतपति, नीदर लैंड से शेफ श्री टीका राम पंवार, हल्द्वानी से डा नवीन लोहनी सहित दर्जनों अन्य लोगो ने वीडियो संदेश जारी कर किया। गढ़ भोज दिवस के अवसर पर लंबे समय से गढ़भोज अभियान से जुड़े लोगों का सम्मान भी किया गया l
जिनमें प्रो. मोहन सिंह पंवार, सुरक्षा रावत, कृष्ण मोहन भट्ट, डा. उदय गौड़, प्रो. यतीश वशिष्ठ, गोपाल प्रकाश मिश्रा, प्रमोद सिंह कैन्तुरा, दिनेश सिंह रावत, नरेश बिजल्वाण, एस एस बिष्ट, श्रीमती भारती आनंद एवं गायत्री रावत आदि शामिल रहे l
इस अवसर पर डा. नीतू गुप्ता, डा. स्वेता एवं डा. अरविंद द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन किया गया l
इस अवसर पर डा. अरविंद दरमोडा, माधवेंद्र रावत, संयुक्त निदेशक आनंद सिंह नेगी, मुकुल कुमार सती, प्रेमलता बोडाई, अनिरुद्ध दरमोडा, चैत राम सेमवाल, विकास पंत, सुरेश सतपति, गंगा बहुगुणा, प्रो एम एस रावत, प्रो. केडी पुरोहित, मालती हालदार आदि शामिल रहे। इस कार्यक्रम में पर्वतीय विकास शोध केंद्र, लोक चेतना मंच, डालियों का दगड़ीया का सहयोग रहा।
केंद्र ने उत्तराखंड की 620 औद्योगिक इकाइयों को सब्सिडी के लिए किया अपात्र घोषित
देहरादून, प्रदेश में उद्योगों को बढ़ावा देने की सरकार लगातार कोशिश कर रही है। ताकि पहाड़ से लेकर मैदान तक जो बेरोजगारी है उसे कम किया जा सके। जो पलायन के कारण पहाड़ खाली हो रहे हैं उन्हें रोका जा सके। लेकिन इसी बीच केंद्र सरकार द्वारा राज्य में स्थापित 620 औद्योगिक इकाइयों को अपात्र घोषित कर दिया गया है। केंद्र सरकार की ओर से उत्तराखंड की 620 औद्योगिक इकाईयों को बड़ा झटका लगा है। केंद्र सरकार ने उत्तराखंड की 620 औद्योगिक इकाईयों को सब्सिडी का लाभ पाने के लिए अपात्र घोषित किया है। जिसकी वजह रजिस्ट्रेशन और अन्य तकनीकी कारणों को बताया गया है। इन औद्योगिक इकाईयों को सब्सिडी का लाभ ना मिलने से इनके सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है। केंद्र सरकार से इस समस्या का सामाधान निकालने की मांग डस्ट्री एसोसिएशन के पदाधिकारी कर रहे हैं।
निवेश को बढ़ावा देने के लिए लागू की गई थी औद्योगिक विकास स्कीम 2017 :
आपको बता दें कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के वाणिज्य एंव उद्योग मंत्रालय द्वारा औद्योगिक विकास स्कीम 2017 को लागू किया था। इस स्कीम के लागू होने के बाद से दोनों राज्यों में कई औद्योगिक इकाइयां स्थापित हुई। इस योजना के तहत सरकार द्वारा 714 इकाइयों को सब्सिडी का लाभ भी दिया गया। लेकिन हाल में जानकारी सामने आई है कि विभिन्न तकनीकी कारणों से उत्तराखंड की 620 औद्योगिक इकाइयों को अपात्र घोषित कर दिया गया है।
सब्सिडी को ध्यान में रखकर ही उत्तराखंड में किया था निवेश :
620 औद्योगिक इकाइयों को अपात्र घोषित होने के बाद इंडस्ट्री एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष पंकज गुप्ता का बयान सामने आया है। उनका कहना है कि उन्होंने बहुत से उद्योगों ने सब्सिडी को ध्यान में रखते हुए ही उत्तराखंड में निवेश किया था। उन्होंने कहा कि 20 ऐसे उद्योग है जिनके द्वारा रजिस्ट्रेशन तो किया गया था। लेकिन टेक्निकल कमी के चलते उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया। रजिस्ट्रेशन ना होने के कारण उन्हें अब सब्सिडी नहीं मिलेगी। उनका कहना है कि केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद से वो बेहद निराश हैं। उन्होंने सीएम धामी से गुहार लगाई है कि वो इस बारे में भारत सरकार में उद्योग मंत्री से बात करें और कोई समाधान निकालें।
विपक्ष भी अब इसको लेकर उठा रहा सवाल..
उत्तराखंड में बेरोजगारी और पलायन सबसे बड़ी समस्या है। जिसे दूर करने के लिए प्रदेश सरकार से लेकर केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है। लेकिन 620 औद्योगिक इकाईयों की सब्सिडी रूकने ये इन औद्योगिक इकाईयों के भविष्य के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है। विपक्ष भी अब इसको लेकर सवाल उठा रहा है। कांग्रेस के प्रदेश संगठन उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि 3:30 लाख करोड़ का निवेश लाने की बातें करने वाली सरकार की ये उपलब्धि है। मथुरा दत्त जोशी ने कहा कि 620 का जो आंकड़ा है ये सरकारी आंकड़ा है। असल में देखें तो करीब हजार से 1200 छोटे बड़े उद्योग बंद होने की कगार पर हैं। इन उद्योगों के बंद होने से उत्तराखंड में बेरोजगारी दर और भी अधिक बढ़ेगी। पलायन भी और भी ज्यादा होगा लेकिन सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है।
सत्तापक्ष हर संभव मदद करने की कर रहा बात :
जहां विपक्ष इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेरता हुआ नजर आ रहा है। तो वहीं सत्तापक्ष हर संभव मदद प्रदान करने की बात कर रहा है।
भाजपा की प्रदेश प्रवक्ता सुनीता विद्यार्थी का कहना है कि सीएम पुष्कर सिंह धामी की सरकार प्रदेश में लगातार उद्योगों को बढ़ावा दे रही है। अभी जिन उद्योगों इकाइयों की मानक पूरे नहीं थे अभी उन्हीं की सब्सिडी रोकी गई है। लेकिन आगे सरकार इस बारे में कुछ ना कुछ जरूर सोचेगी। उन्होंने कांग्रेस पर भी पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस हर चीज में सिर्फ गलत की खोजती है।
Author: Uttarakhand Headline
Chief Editor . Shankar Datt , Khatima, u.s.nagar , Uttarakhand,262308